पालयन्ती मनुपदं प्रसमीक्ष्या वनीतले । पीताचार रतां भक्तां तां भवानीं भजाम्यहम् ।। हस्तैर्मुद्गरपाशवज्ररशनाः सम्बिभ्रतीं भूषणैः व्याप्ताङ्गीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तये ॥ ३॥ यह देवी मुख्यतः स्तम्भन कार्य से सम्बंधित हैं फिर वह शत्रु रूपी मनुष्य, घोर प्राकृतिक आपदा, अग्नि या अन्य किसी भी प्रकार का भय ही क्यों न हो। https://www.youtube.com/@Mahavidyabaglamukhi
The Basic Principles Of Mahavidya baglamukhi
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